
डीईओ की कठोर कार्रवाई और कलेक्टर की दूरदर्शिता से जिले में स्थापित हुआ अनुशासन
कोरबा, 14 सितंबर 2025।
कोरबा जिला आज एक नए दौर से गुजर रहा है। यहां के तेज़-तर्रार कलेक्टर महोदय ने अपने संयमित, पारदर्शी और जनहितैषी नेतृत्व से पूरे जिले को एकदम नई पटरी पर ला दिया है। शासन-प्रशासन की मशीनरी अब अनुशासन, पारदर्शिता और सशक्त कार्यशैली का उदाहरण बन चुकी है। विशेष रूप से शिक्षा व्यवस्था में जो सुधार हाल ही में हुआ है, वह कलेक्टर महोदय की दृढ़ इच्छाशक्ति और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) की सक्रियता का प्रत्यक्ष परिणाम है।
कलेक्टर महोदय का मानना है कि शिक्षा ही जिले का भविष्य गढ़ती है और बच्चों के जीवन से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसी विचारधारा को केंद्र में रखते हुए उन्होंने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने पर जोर दिया। परिणामस्वरूप डीईओ श्री टी.पी. उपाध्याय के नेतृत्व में शिक्षा विभाग ने कड़े लेकिन ज़रूरी कदम उठाए।
डीईओ ने बताया कि शासन के आदेशानुसार जिले में प्राथमिक शालाओं के 292 सहायक शिक्षक और 15 प्रधानपाठक तथा माध्यमिक शालाओं के 153 शिक्षक व प्रधानपाठक को अतिशेष घोषित किया गया था। इन शिक्षकों को शिक्षक-विहीन और एकल-शिक्षकीय विद्यालयों में पदस्थापित किया जाना था। जिला समिति ने दूरस्थ अंचलों और लंबे समय से शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों को प्राथमिकता देते हुए ओपन काउंसलिंग आयोजित की और पदस्थापना आदेश जारी किए।
हालांकि कुछ शिक्षक इस आदेश से असंतुष्ट रहे और उन्होंने जिला समिति व संभागीय समिति तक अभ्यावेदन प्रस्तुत किए। यहां तक कि कई ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में भी याचिकाएं दायर कीं। न्यायालय ने जिला समिति को सुनवाई कर निराकरण का निर्देश दिया। सुनवाई उपरांत केवल चुनिंदा अभ्यावेदन ही मान्य पाए गए, शेष को अमान्य कर दिया गया।
इसके बावजूद कई शिक्षक ज्वाइनिंग से बचते रहे। ऐसे में कलेक्टर महोदय के सख्त निर्देश पर डीईओ ने कार्रवाई करते हुए 4 सहायक शिक्षकों को निलंबित कर दिया और कई शिक्षकों का दो माह का वेतन रोक दिया। साथ ही सभी शिक्षकों को निर्देशित किया गया है कि वे जल्द से जल्द अपने आबंटित विद्यालय में उपस्थित होकर बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित करें।
इस कार्यवाही का सबसे बड़ा असर यह हुआ कि जिले में शिक्षा व्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटी। दूरस्थ अंचलों में जहां वर्षों से शिक्षक नहीं पहुंचते थे, अब बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे हैं। कलेक्टर महोदय ने यह भी सुनिश्चित किया कि जिन विद्यालयों में अब भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं, वहां जिला खनिज न्यास मद से मानदेय शिक्षकों की व्यवस्था की जाए।
जनता कह रही है कि कलेक्टर महोदय की कार्यशैली अनुशासन और मानवीय संवेदना का अद्भुत संगम है। वे न केवल कड़े फैसले लेने में आगे रहते हैं, बल्कि यह भी ध्यान रखते हैं कि प्रत्येक निर्णय से आम जनता का भला हो। यही कारण है कि जिले में भ्रष्टाचार पर पूरी तरह नकेल कसी गई है और प्रशासन पर लोगों का विश्वास दिनोंदिन बढ़ रहा है।
आज कोरबा जिला गर्व से कह सकता है कि यहां का कलेक्टर महोदय सर्वगुण संपन्न, ईमानदार और दूरदर्शी नेतृत्वकर्ता हैं, जिनके मार्गदर्शन में डीईओ और पूरी शिक्षा टीम बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की राह तैयार कर रही है।