
एनटीपीसी और सीएसईबी से होने वाले रखड़ (कोयला) परिवहन ने छोटी कटघोरा बायपास मार्ग को प्रदूषण और बीमारियों का अड्डा बना दिया है। बायपास से होकर गुजरने वाले भारी वाहनों की लगातार आवाजाही से सड़क किनारे बस्तियों में लोग रोज मौत का सामना कर रहे हैं। धूल और जहरीले धुएं के कारण सांस संबंधी रोग, त्वचा की समस्याएं, आंखों में जलन और फेफड़ों की बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब यह क्षेत्र “मौत का खेल” बन चुका है।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि शासन और जिम्मेदार विभाग सब कुछ जानते हुए भी चुप बैठे हैं। करोड़ों रुपए पर्यावरण और सुरक्षा योजनाओं के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर न तो धूल दमन की कोई व्यवस्था है और न ही आमजन की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। भारी ट्रकों की तेज रफ्तार से आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा मंडराता रहता है।
इस गंभीर स्थिति पर सकरी पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष प्रमोद कुमार गुप्ता ने प्रशासन की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकार सुरक्षित पर्यावरण और जनता की सुरक्षा की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। लोगों को जीवन और मौत के बीच जीने को मजबूर किया जा रहा है। गुप्ता ने स्पष्ट किया कि पत्रकारिता का धर्म है जनता की आवाज को बुलंद करना, और वे निर्भीक होकर इस लड़ाई को आगे बढ़ाते रहेंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही प्रदू जीबीषण नियंत्रण और परिवहन पर सख्ती नहीं बरती गई तो मजबूरन उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और जिम्मेदारों की चुप्पी अब असहनीय होती जा रही है।