
कोरबा/पाली:-जिले के प्ले विकासखंड अंतर्गत पूर्व माध्यमिक शाला रजकम्मा से एक तस्वीर सामने आई है। स्कूल परिसर में बच्चों को बेंच पर बिठाते हुए देखा गया, जो शिक्षा के मूल अधिकार और बाल श्रम निषेध कानून दोनों का खुला उल्लंघन है।
हकीकत में साफ देखा जा सकता है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे बेंच बेंच स्कूल गेट के बाहर वाली गली से स्कूल परिसर में जाकर देखते और रहते हैं!,
दस्तावेजों से मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम विद्यालय रजकम्मा से बच्चों से ही उठवाकर लगभग 1 किलोमीटर दूर पूर्व माध्यमिक शाला रजकम्मा में लाया जा रहा है। अंतिम चरण में छोटे-छोटे बच्चों के बीच माउंटेन स्कूल परिसर की ओर दिखाई दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में सिर्फ उनकी शारीरिक क्षमता के विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, बल्कि उनकी मानसिक क्षमता पर भी असर पड़ सकता है। यह बाल श्रम निषेध कानून एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) की भी धज्जियां उड़ाता है।
अनकहे हैं कई गंभीर प्रश्न…
जब स्कूल में कर्मचारी और भारतीय की व्यवस्था होती है, तो बच्चों से यह कार्य क्यों लिया गया?
क्या स्कूल प्रबंधन बच्चों के अधिकार और सुरक्षा को लेकर इस हद तक का दायरा हो चुका है?
शिक्षा विभाग और जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में मौन क्यों हैं?
आत्मानंद विद्यालय से फर्नीचर मोटोरोला बच्चों ने दूसरे स्कूल में ले जाने का ऑर्डर दिया?
नियम क्या कहते हैं?
“बाल श्रम (निषेध और धार्मिक) अधिनियम, 1986” के तहत किसी भी बच्चे से श्रमिक कार्य लेना शामिल है। वहीं, “शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई)” यह स्पष्ट करता है कि हर बच्चे को एक सुरक्षित, पोषण और प्रेरणादायक माहौल में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
जिम्मेदार कौन है?
इस मामले की पूरी तरह से मरम्मत करना बेहद जरूरी है।
क्या शिक्षक व कार्यशाला की जानकारी में यह कार्य हो रहा था?
कौन सा विभाग इसे सामान्य घटना के रूप में अनदेखा करेगा या फिर कार्रवाई करेगा?
खबर सामने आने के बाद यह दिलचस्प देखने को मिलेगा कि क्या शिक्षा विभाग अपने आप को मजबूत बनाता है, फिर से ‘सिस्टम’ की शैलियाँ बच्चों के भविष्य पर भारी पैमाने पर हमला करती हैं।