
कोरबा/कटघोरा, 21 सितंबर 2025।
छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल की पहल पर कटघोरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) को 50 से बढ़ाकर 100 बिस्तरों का बनाने की घोषणा भी हो चुकी है। मंशा साफ है कि जनता को हर स्तर पर गुणवत्तापूर्ण इलाज मिले।
लेकिन मिली जानकारी के अनुसार कटघोरा CHC की मौजूदा हालत सरकार की योजनाओं को उल्टा साबित कर रही है। रविवार को अवकाश के दिन अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर द्वारा मरीजों से कथित दुर्व्यवहार और उन्हें बिना इलाज लौटाने का मामला सामने आया। स्थिति इतनी बिगड़ी कि एक वरिष्ठ जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुँचे और अस्पताल स्टाफ को सख़्त फटकार लगाई। उन्होंने साफ कहा कि डॉक्टर का पहला धर्म मरीजों की सेवा है, न कि जिम्मेदारी से बचना।
अव्यवस्था का आलम
वर्तमान में अस्पताल का प्रभार बीएमओ डॉ. रश्मि सिंह के पास है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रबंधन पूरी तरह लचर है।
डॉक्टर समय पर अस्पताल नहीं पहुँचते।
सरकारी दवाएं उपलब्ध नहीं कराई जातीं, मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर सामान खरीदना पड़ता है।
कई बार डॉक्टर तभी इलाज शुरू करते हैं जब मरीज बाहर से दवा या सामग्री खरीद लाता है।
रात में सुरक्षा गार्ड तक मौजूद नहीं रहते, जिससे मरीज और परिजन असुरक्षित महसूस करते हैं।
रेफर पर उठे सवाल
अस्पताल में आए मरीजों और परिजनों का कहना है कि मामूली बीमारियों में भी मरीजों को जल्दी रेफर कर दिया जाता है। इससे संदेह होता है कि कहीं यह सब मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर धकेलने का तरीका तो नहीं। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि यह प्रवृत्ति आम हो चुकी है और इसका खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
सरकार का प्रयास बनाम विभाग की लापरवाही
एक ओर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर स्वास्थ्य सुविधाओं को मज़बूत करने में जुटी है, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग का अमला लापरवाह रवैया अपनाए हुए है। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जहाँ 100 बिस्तरों का सपना दिखा रहे हैं, वहीं कटघोरा CHC 50 बिस्तरों पर भी ईमानदारी से सेवा नहीं दे पा रहा। यह स्थिति न केवल मरीजों की परेशानी बढ़ा रही है, बल्कि सरकार की छवि पर भी असर डाल रही है।
स्थानीय जनता की मांग
कटघोरा क्षेत्र के लोगों ने स्पष्ट कहा है कि अस्पताल की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो, तभी व्यवस्थाओं में सुधार संभव है। जनता का कहना है कि विस्तार और विकास की बातें तभी सार्थक होंगी जब मौजूदा व्यवस्था सुधरे और हर मरीज को समय पर सही इलाज मिले।