
कोरबा पोंड़ी उपरोड़ा प्राधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजना को लेकर कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक से बड़ा मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत बांगो की आदिवासी महिला विनिता बाई अगरिया ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि योजना की राशि का सदुपयोग कर घर बनाने के बाद अब उन्हें धमकाया जा रहा है और रकम लौटाने का दबाव बनाया जा रहा है।
कैसे हुआ पूरा खेल
योजना के तहत पहले विनिता बाई अगरिया के खाते में किस्त जारी की गई। रोजगार सहायक और आवास मित्र की मौजूदगी में जियो-टैगिंग भी हुई और उनका घर पूरा हुआ। इसके बाद उनके पति इंद्रपाल अगरिया के खाते में भी राशि भेज दी गई और वहां भी घर तैयार हो गया। तीनों किस्तें जारी हो गईं और दोनों मकान पूरे हो गए।
लेकिन अब विभाग कह रहा है कि इंद्रपाल अगरिया के खाते में जो राशि गई थी, वह किसी अन्य हितग्राही — इंद्रपाल कंवर पिता हरिहर सिंह कंवर — की थी। यह बात तब बताई जा रही है जब घर बन चुका है और रकम खर्च हो चुकी है।
महिला पर दबाव, जमीन बेचने तक की धमकी
विनिता बाई का कहना है कि उनसे एक लाख रुपए लौटाने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
“मैं बहुत गरीब हूं, मजदूरी और महतारी वंदन योजना से ही घर चलता है। जो पैसा मिला उससे मैंने घर बना लिया। अब मेरे पास लौटाने को कुछ नहीं है। अगर पैसा चाहिए तो मेरा घर तोड़कर ले जाइए।”
महिला का आरोप है कि 17 सितंबर को जब वह अपनी फरियाद लेकर जिला कार्यालय पहुंची, तो सीईओ पोड़ी उपरोड़ा जयप्रकाश डड़सेना, आवास मित्र और रोजगार सहायक ने उन्हें रोका और धमकाया। यहां तक कहा गया कि “पैसा वापस करो, नहीं तो जमीन बेच दो।”
मिलीभगत और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि योजना की प्रक्रिया साफ है — हर किस्त जियो-टैगिंग और सत्यापन के बाद ही जारी होती है। तीन किस्तें जारी होने के बाद यह कहना कि “गलती हुई” सीधे-सीधे मिलीभगत और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
गांव के लोग सवाल उठा रहे हैं कि:
अगर यह गलती थी तो तीन किस्तों तक क्यों नहीं पकड़ी गई?
जियो-टैगिंग किसके दबाव में पास की गई?
क्या यह मामला अकेला है या और भी कई आवास ऐसे ही गलत तरीके से पास हुए हैं?
ग्रामीणों का आरोप है कि सीईओ जयप्रकाश डड़सेना अपने कर्मचारियों को संरक्षण देकर गरीब महिला पर दबाव बना रहे हैं। इससे साफ होता है कि पूरा खेल केवल आवास योजना की राशि हड़पने का है।
सरकार की छवि धूमिल
जहाँ प्रधानमंत्री और राज्य सरकार गरीब व आदिवासी परिवारों को पक्का घर देने का सपना पूरा कर रहे हैं, वहीं स्थानीय स्तर पर अधिकारी भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी से योजना को बदनाम कर रहे हैं। इससे न सिर्फ गरीब हितग्राही परेशान हो रहे हैं, बल्कि सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है।
ग्रामीणों की मांग
सीईओ पोड़ी उपरोड़ा और उनके संरक्षण में काम करने वाले कर्मचारियों पर तत्काल कार्रवाई हो।
विनिता बाई और उनके परिवार के खाते पर लगा होल्ड तुरंत हटाया जाए।
योजना में हुए घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों को निलंबित किया जाए।
पति-पत्नी दोनों को मिला आवास, जियो-टैगिंग और तीन किस्तें पास।
अब महिला से रकम लौटाने का दबाव, जमीन बेचने तक की धमकी का आरोप।
सीईओ पर भ्रष्टाचार और कर्मचारियों को संरक्षण देने के आरोप।
ग्रामीण बोले – यह सिर्फ एक मामला नहीं, कई और आवास घोटाले का अंदेशा।
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को बदनाम कर रहे अधिकारी।