
कोरबा। प्रदेश सरकार शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए लगातार योजनाएँ लागू कर रही है। करोड़ों रुपये की राशि से स्कूल भवनों का निर्माण, बच्चों को किताब-कॉपी, छात्रवृत्ति और मिड-डे मील जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं। जिला प्रशासन भी नियमित समीक्षा और निरीक्षण कर रहा है। बावजूद इसके, कई शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। उनकी लापरवाही ने बच्चों की पढ़ाई को अधर में डाल दिया है और सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम कर रही है।
खुर्रुभाठा में प्रधान पाठक नदारद
पोंडी-उपरोड़ा विकासखंड अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला खुर्रुभाठा में पदस्थ प्रधान पाठक लक्ष्मी सिदार महीनों से विद्यालय में अनुपस्थित बताई जा रही हैं। इससे स्कूल की सारी जिम्मेदारी अकेले सहायक शिक्षक मालेश्वर सिंह पैकरा पर आ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि पढ़ाई पूरी तरह से बाधित है।
जर्जर भवन में बच्चों की जान पर खतरा
खुर्रुभाठा स्कूल का भवन भी जर्जर है। दीवारें और छत कभी भी गिर सकती हैं। बच्चों को रोज़ मौत के साए में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि बरसात के मौसम में बड़ा हादसा हो सकता है।
हड़मोर में शिक्षकों की लापरवाही
इसी ब्लॉक के हड़मोर प्राथमिक शाला में तो हालात और भी चौंकाने वाले हैं। यहां शिक्षक बच्चों को स्कूल में छोड़करअपने निजी काम से गैस सिलेंडर लेने चले गए। विद्यालय का संचालन सफाईकर्मी के भरोसे रहा। यह घटना साफ दिखाती है कि कुछ शिक्षक बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा दोनों से खिलवाड़ कर रहे हैं।
सरकार की पहल, शिक्षक कर रहे अनदेखी
प्रदेश सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए स्मार्ट क्लास, डिजिटल शिक्षा, मिड-डे मील, छात्रवृत्ति और मुफ्त किताब-कॉपी जैसी योजनाएँ शुरू की हैं। जिला कलेक्टर और शिक्षा विभाग समय-समय पर समीक्षा बैठकें करते हैं। लेकिन शिक्षकों की अनुपस्थिति और लापरवाही से सारी मेहनत पर पानी फिर रहा है।