
कोरबा, 12 सितंबर 2025।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने लागू की गई युक्तियुक्तकरण नीति अब गाँव-गाँव के विद्यालयों में अपना सकारात्मक असर दिखा रही है। इस नीति के तहत एकल शिक्षकीय विद्यालयों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की पदस्थापना की जा रही है। इसी कड़ी में करतला विकासखंड के ग्राम पंचायत भैंसामुड़ा के प्राथमिक शाला आश्रम तथा प्राथमिक शाला भदरापारा को नई शिक्षिकाओं की सौगात मिली है। इससे बच्चों के साथ-साथ पालकों और ग्रामीणों में भी हर्ष की लहर है।
बच्चों की पढ़ाई में आई नई रफ्तार
भैंसामुड़ा का प्राथमिक शाला आश्रम लंबे समय से एकल शिक्षकीय विद्यालय था। यहाँ के एकमात्र शिक्षक श्री सियाराम कश्यप पर सभी कक्षाओं का भार था। विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या और विविध विषयों के अध्ययन की चुनौती से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही थी। लेकिन अब शासन की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के अंतर्गत यहाँ श्रीमती सुमित कंवर को शिक्षिका के रूप में पदस्थ किया गया है।
विद्यालय की छात्राएँ गौरी, देवंती और पूर्वी ने बताया –“नई मैडम आने के बाद हमें रोज़ाना कक्षाएँ अच्छी तरह से मिल रही हैं। पढ़ाई अब आसान और मजेदार लग रही है।”
श्रीमती सुमित कंवर ने भी बताया कि विद्यालय में वर्तमान में 29 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। उनकी पूरी कोशिश रहती है कि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
भदरापारा शाला को भी मिली नई शिक्षिका
इसी गाँव के भदरापारा में स्थित प्राथमिक शाला भी वर्ष 2021-22 से एकल शिक्षकीय विद्यालय था। यहाँ की प्रधान पाठिका श्रीमती रंभा मिश्रा लंबे समय से अकेले सभी विद्यार्थियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी निभा रही थीं। लेकिन अब युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से यहाँ श्रीमती सुभद्रा पाल की पदस्थापना हुई है।
विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी जानसी, विनय, आर्यन और वीरा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा –“मैडम नई आई हैं और हमारी कक्षाएँ लेती हैं। अब पढ़ाई नियमित हो रही है।”
भदरापारा शाला में फिलहाल 14 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अतिरिक्त शिक्षिका की नियुक्ति से विद्यालय का वातावरण उत्साहपूर्ण हो गया है।
ग्रामीणों ने जताया आभार
दोनों विद्यालयों में शिक्षिकाओं की पदस्थापना से न केवल बच्चों की पढ़ाई आसान हुई है बल्कि शिक्षकों के कार्यभार में भी राहत मिली है। अब विद्यार्थियों को विषयवार नियमित शिक्षा प्राप्त हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों का भविष्य अब सुरक्षित हाथों में है।
ग्रामवासियों ने शासन की युक्तियुक्तकरण नीति की सराहना करते हुए कहा कि –“पहले हमें चिंता रहती थी कि बच्चों कीपढ़ाई अधूरी न रह जाए। अब नई शिक्षिकाओं की नियुक्ति से हम निश्चिंत हैं और यह विश्वास है कि हमारे बच्चे भी अब उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ेंगे।”
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ शासन की यह पहल शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित हो रही है। भैंसामुड़ा जैसे गाँवों में भी अब बच्चों को बराबरी का अवसर मिल रहा है। युक्तियुक्तकरण की नीति ने यह सिद्ध कर दिया है कि सही समय पर लिया गया निर्णय न केवल विद्यालय का स्वरूप बदल सकता है, बल्कि गाँव के भविष्य को भी नई दिशा दे सकता है।