
बालोद, 12 सितंबर 2025।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से लागू की गई युक्तियुक्तकरण नीति का असर अब जमीनी स्तर पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। इस नीति के तहत विद्यार्थियों की दर्ज संख्या एवं विषयवार आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की जा रही है। इसी कड़ी में बालोद जिले के गुण्डरदेही विकासखण्ड स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परसाही टी को 04 नए व्याख्याताओं की सौगात मिली है, जिससे विद्यालय में अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था पूरी तरह बदल गई है।
विद्यालय का नया स्वरूप
पूर्व में इस विद्यालय में गणित, अंग्रेजी, जीव विज्ञान और हिन्दी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के व्याख्याता उपलब्ध नहीं थे। इसके चलते विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन और भविष्य दोनों पर संकट मंडरा रहा था। अभावग्रस्त स्थिति से निराश विद्यार्थी एवं पालक दूसरे विद्यालयों की ओर रुख करने को विवश हो रहे थे। लेकिन शासन की युक्तियुक्तकरण व्यवस्था के अंतर्गत यहाँ विषयवार 04 शिक्षकों की नियुक्ति ने पूरे माहौल को बदलकर रख दिया है।
अब विद्यालय में
श्री हीरालाल साहू (व्याख्याता गणित)
श्री चंद्रभूषण मोहबिया (व्याख्याता अंग्रेजी)
श्री राजेश कुमार रावटे (व्याख्याता हिन्दी)
सुश्री दीपिका राज (व्याख्याता जीव विज्ञान)
की पदस्थापना हुई है। इनके जुड़ने से विद्यार्थियों को सभी प्रमुख विषयों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो रही है।
विद्यार्थियों और पालकों में उत्साह
शिक्षकों की उपलब्धता से अब विद्यार्थी न केवल नियमित कक्षाओं में मनोयोग से पढ़ाई कर रहे हैं, बल्कि अपने बेहतर भविष्य के प्रति भी आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं। विद्यालय में शिक्षा का वातावरण पूरी तरह सकारात्मक हो गया है। पालक भी शासन की इस पहल की खुलकर सराहना कर रहे हैं।
शाला की छात्राओं कुमकुम, नेहा बंजारे और जीत देवांगन ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि –
“पहले हमारे विद्यालय में महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक न होने से हम सभी अत्यंत निराश थे। भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी रहती थी। लेकिन मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया लागू होने से आज हमारा विद्यालय पूरी तरह बदल गया है। अब हमें सभी विषयों के शिक्षक मिल रहे हैं और हम आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।”
शासन की दूरदर्शी पहल
शासन की यह नीति न केवल परसाही टी बल्कि समूचे प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर शिक्षकों की तैनाती से संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हो रहा है। इससे जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों को संबल मिल रहा है, वहीं विद्यार्थियों का पलायन भी रुक रहा है।
विद्यालय में अब अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्थित व्यवस्था होने से न केवल परीक्षा परिणाम बेहतर होंगे बल्कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास भी सुनिश्चित होगा।
निष्कर्ष
शिक्षा ही किसी भी समाज और राज्य की प्रगति का मूल आधार है। ऐसे में छत्तीसगढ़ शासन की युक्तियुक्तकरण पहल ने यह सिद्ध कर दिया है कि समय रहते किए गए सही निर्णय, विद्यार्थियों और उनके परिवारों के जीवन में आशा की नई किरण जगाने में सक्षम होते हैं। परसाही टी विद्यालय इसका सशक्त उदाहरण बन चुका है।