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भ्रष्ट्राचार में डूबा पाली जल संसाधन उपसंभाग विभाग: करोड़ो के किसान हितैषी सिंचाई योजना में घटिया निर्माण

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Laung das Mahant

कोरबा/पाली:- जल संसाधन उपसंभाग पाली अंतर्गत सेन्द्रीपाली बांध से 24 सौ मीटर के चल रहे माइनर नाली नहर सीसी लाइनिंग निर्माण कार्य मे भारी अनियमितता और आर्थिक गड़बड़ी किये जाने का आरोप क्षेत्र के जनपद सदस्य व किसानों ने लगाते हुए निर्माण में प्रयुक्त की जा रही सामाग्री पर आपत्ति जताई है। आरोप है कि विभाग के अधिकारी और ठेकेदार केवल भ्रष्ट्राचार कर आम जनता के पैसे को लूटने का कार्य कर रहे है। जहां चल रहे निर्माण में नियम- कायदे को ताक में रखकर ठेकेदार और विभाग के एसडीओ घटिया काम को अंजाम देकर मोटा मॉल कमाने में लगे है तथा जिम्मेदार अधिकारी की कमीशनखोरी के चलते गुणवत्ताहीन कार्य को मूर्तरूप दिया जा रहा है।

पाली विकासखण्ड के ग्राम सेन्द्रीपाली स्थित बांध से 24 सौ मीटर के लंबी माइनर नाली नहर सीसी लाइनिंग का कार्य करीब 2 करोड़ 76 लाख की लागत से कराया जा रहा है। करोड़ो के जिस किसान हितैषी सिंचाई योजना के काम मे गुणवत्ता की जमकर अनदेखी किये जाने का आरोप क्षेत्र क्रमांक- 12 की जनपद सदस्य श्रीमती संगीता सूरज कोराम सहित किसानों ने लगाया है और निर्माण के उपयोग में लाए जा रहे मटेरियल सामाग्री पर कड़ी आपत्ति जताई है। आरोप है कि कार्य मे स्तरहीन रेत, सीमेंट का उपयोग करते हुए निर्माण की औपचारिकता भर निभाई जा रही है। इससे सीसी नहर नाली बनने के साथ ही टूटने- फूटने लगी है। जिस गुणवत्ता की अनदेखी के चलते इसका लाभ लंबे समय तक किसानों को नही मिल पाएगा। क्योंकि करोड़ो के माइनर सीसी नाली नहर निर्माण कार्य मे हो रहे अनियमितता से यह पानी का तेज बहाव ज्यादा दिनों तक झेल नही पाएगा और टूटने की संभावना रहेगी। जहां नहर टूटने से शासन की राशि बर्बादी होगी साथ ही किसानों की फसल भी चौपट हो सकती है। ऐसे में नहरी पानी की उम्मीदें किसानों को सिरे चढ़ते नजर नही आ रही है।

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आसपास नदी- नालों के रेत का उपयोग
जनपद सदस्य श्रीमती संगीता सूरज कोराम सहित ग्रामीण किसानों ने आपत्ति जताई है कि पौने तीन करोड़ के निर्माण कार्य मे ठेकेदार द्वारा घटिया किस्म के रेत का उपयोग किया जा रहा है। ठेकेदार आसपास के नदी- नालों से बजरी युक्त रेत का उत्खनन कराकर उक्त निर्माण में लगा रहा है। जिस रेत में गाद की मात्रा अधिक होने से पक्के निर्माण के टिकाऊपन पर संदेह जताया गया है।

*निर्माण में 53 की जगह लगा रहे 43 ग्रेड सीमेंट*
जनपद सदस्य और किसानों का आरोप है कि नहर नाली निर्माण में 53 ग्रेड सीमेंट की जगह 43 ग्रेड जेके लक्ष्मी सीमेंट लगाया जा रहा है। जिसका उपयोग भी कम मात्रा में किया जा रहा है। जनपद सदस्य श्रीमती कोराम ने बताया कि सभी निर्माण परियोजनाओं में समान स्तर की मजबूती की आवश्यकता नही होती है। लेकिन करोड़ो के पक्के निर्माण को पूरा करने के लिए उपयुक्त ग्रेड के सीमेंट का उपयोग आवश्यक है। ठेकेदार द्वारा जिसके विपरीत 43 ग्रेड सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है। जबकि इस ग्रेड के सीमेंट का उपयोग छोटे पैमाने के आवासीय निर्माण या प्लास्टरिंग कार्य के लिए होता है। ऊंची इमारतों, पुलों या ढांचे जैसी निर्माण में भार क्षमता सहने के लिए 53 ग्रेड सीमेंट की जरूरत होती है, जो निर्माण संरचनाओं की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी मजबूती प्रदान करता है। जिसके विपरीत कम ग्रेड व कम मात्रा में सीमेंट का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने निर्माण के टिकाऊपन को लेकर संदेह जताया है और निर्माण में प्रयुक्त सामाग्री की जांच कराने जिला प्रशासन से अपेक्षित मांग की है।

निर्माण स्थल से समरी बोर्ड गायब
शासकीय निर्माण कार्यों में पारदर्शिता लाने केंद्र व राज्य सरकार का नियम है कि किसी भी प्रकार के सरकारी निर्माण कार्य मे मानक सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य है। जिससे आम नागरिकों को उक्त निर्माण कार्य की लागत, मापदंड, संबंधित ठेकेदार के फर्म व संबंधित विभाग और अधिकारियों, इंजीनियर का नाम, मोबाइल नंबर पता चले। लेकिन ठेकेदार द्वारा उक्त निर्माण कार्य के दौरान निर्माण स्थल पर किसी प्रकार का मानक बोर्ड नही लगाया गया है और घटिया मटेरियल सामाग्री लगाकर माइनर नाली नहर सीसी लाइनिंग कार्य का निष्पादन कराया जा रहा है। जिसे लेकर जनप्रतिनिधि व किसानों ने प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि भ्रष्ट्राचार और आर्थिक अनियमितता करने की मंशा को लेकर निर्माण स्थल पर समरी बोर्ड नही लगाया गया है।

*विभागीय अधिकारी के कार्यप्रणाली पर उठे सवाल*
इस पूरे मामले में जल संसाधन उपसंभाग पाली के अनुविभागीय अधिकारी एस.पी. टुंडे का रुख भी सवालों के घेरे में है। तय समय पर कार्यालय खुलने के बावजूद उक्त अधिकारी समय पर उपस्थित नही रहते। एसडीओ ब्लाक मुख्यालय में रहने के बजाय 50- 55 किलोमीटर दूर निवास करते है, जो सप्ताह में एक या दो दिन कार्यालय आते है और कुछ घण्टे उपस्थित रहने के बाद पुनः वापस चले जाते है। शासन द्वारा भारी- भरकम वेतन के साथ सारी सुविधा देने के बाद भी ऐसे जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों के विपरीत मनमर्जी से कार्य करने से बाज नही आते। अधिकारी के कार्यालय में नियमित नही बैठने से विभागीय कार्य तो प्रभावित होता ही है, साथ ही समस्याएं लेकर पहुँचने वाले किसान वर्ग भी भटकने को मजबूर हो जाते है, जहां कार्यालय के कर्मचारियों से अधिकारी के संबंध में जानकारी चाहने पर संतोषजनक जवाब नही मिल पाता। ऐसे में अनेको किसानों के भूमि अधिग्रहण, मुआवजा प्रकरण से जुड़े कार्य लंबित है और उन्हें विभाग का चक्कर काटना पड़ रहा है। बहरहाल माइनर नाली नहर सीसी लाइनिंग निर्माण मामले में प्रतिक्रिया जानने एसडीओ श्री टुंडे से कार्यालय में संपर्क साधने का प्रयास किया गया, किंतु उनके उपलब्ध नही होने से संबंधित प्रतिक्रिया नही मिल पाई।

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