
कोरबा एक ओर सरकार पूरे प्रदेश में पर्यावरण को संरक्षित करने और हरियाली को बढ़ावा देने और प्रदूषण मुक्त करने के लिएके लिए करोड़ों रुपया खर्च कर आनेको योजनाएं चला रही है वर्तमान में एक पेड़ माँ के नाम अभियान 2.0 की शुरुआत 18 जून 2025 से की गई है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल जिले को हरा-भरा बनाना है, बल्कि सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित कर एक स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य की नींव रखना भी है तो वहीं दूसरी ओर कोरबा जिले के चाकाबूड़ा में स्थित एसीबी लिमिटेड पावर प्लांट सरकार की मनसा पर पानी फेर रहा है, मिली जानकारी के अनुसार ACB पावर प्लांट से ग्रामीण परेशान हैं। इस समस्या के पीछे मुख्य कारण प्रदूषण है, जो कि पावर प्लांट से निकलने वाले धुएं ,पानी और राख के कारण हो रहा है। इससे न केवल ग्रामीणों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि उनकी खेती और जीवनशैली भी प्रभावित हो रही है।यह प्रदूषण ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके अलावा, प्रदूषण के कारण फसलों को भी नुकसान हो रहा है, जिससे किसानों की आजीविका पर असर पड़ रहा है।
एसीबी कंपनी के चाकबुड़ा पावर प्लांट से निकलने वाला राखड़ एवं कोयले से मिला गंदा पानी लगातार सलिहा नाले के जरिए खोलार नदी में मिल रहा है। इस दूषित पानी के कारण नदी का जल पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि इस पानी के चलते गंभीर बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन कंपनी और प्रशासन की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
सूत्रों के अनुसार गांव देवरी, कोराई, पुरेना, मड़वाडोडा, गंगानगर, प्रेमनगर समेत आसपास के गांव इस प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। नाले के रास्ते यह गंदा पानी अंततः हसदेव नदी में जाकर मिलता है, जिससे जल संकट और प्रदूषण का खतरा और बढ़ गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पेयजल के लिए नल तो लगाए गए हैं, परंतु इनमें पानी नहीं आता। मजबूरीवश उन्हें स्नान, कपड़े धोने और अन्य कार्यों के लिए नाले व प्रदूषित नदी का ही सहारा लेना पड़ रहा है। अब हालात यह हैं कि ग्रामीण जहरीले और बदबूदार पानी का इस्तेमाल करने को विवश हैं।
सूत्रों की माने तो गांव में नल की सुविधा होते हुए भी नल सूखे पड़े हैं, और दूसरी ओर पावर प्लांट से छोड़ा जाने वाला राखड़ मिश्रित पानी ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। मिली जानकारी के अनुसारअगर प्रशासन और कंपनी ने इस गंभीर समस्या पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया तो ग्रामीण बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि प्रदूषित पानी छोड़े जाने पर तत्काल रोक लगाई जाए, गांवों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाए और नल योजनाओं को चालू किया जाए, अन्यथा उग्र आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।