
कोरबा:- कोरबा जिले में बढ़ते क्राइम की घटना ने प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है। शासकीय विभागों से लेकर प्राइवेट कंपनियों तथा अन्य मामले पर निरंतर क्राइम की घटना लगातार बढ़ते जा रही है। पुलिस प्रशासन दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाय निर्दोष व्यक्तियों के ऊपर भया दोहन और अवैध वसूली तथा रिश्वतखोरी की घटना को अंजाम दिया गया। ऐसा ही मामला जिला कोरबा के रामपुर चौकी थाना प्रभारी टीआई प्रमोद डडसेना के मामले में देखने को मिली है।
रामपुर चौकी सिविल लाइन थाना प्रभारी प्रमोद डडसेना पर न्यायालय के आदेश की अवमानना और एक फरियादी के साथ धमकी व भयादोहन करने के गंभीर आरोपी के तहत 17 जनवरी 2025 को एफआईआर दर्ज की गई है।
टीआई प्रमोद डडसेना का पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार व भयादोहन
ज्ञात हो कि (ई ख़बर) के प्रमुख संपादक ओमप्रकाश पटेल ने एक खबर बनाकर वायरल किया गया था। जिसमें डीएमसी मनोज पांडे पर बिना किसी विभागीय आदेश के किसी अन्य व्यक्ति को उनके विभाग में पदस्थापना करने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता सरोज कुमार साहू ने इस संदर्भ में कोरबा जिलाधीश को लिखित शिकायत पत्र सौंपा है। शिकायत के अनुसार, सरोज कुमार साहू ने 27 फरवरी 2025 को पत्र क्रमांक 6779/SS Pedagogy/EE/FLN_PMU/2024_25 के तहत समग्र शिक्षा के अंतर्गत PMU भाषा के पद पर विधिवत रूप से कार्यभार ग्रहण किया था। उनकी कार्यावधि 1 दिसंबर 2025 से 31 मार्च 2025 तक निर्धारित थी। हालांकि, शिकायतकर्ता का आरोप है कि 17 अप्रैल 2025 को डीएमसी मनोज पांडे ने बिना किसी विभागीय आदेश या समग्र शिक्षा रायपुर से स्वीकृति के, ममता सोनी को उसी पद पर ज्वाइन करवा दिया। उल्लेखनीय है कि ममता सोनी का स्थानांतरण पूर्व में कोरबा से शक्ति कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने वहां एक माह तक ज्वाइन नहीं किया था।
शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि ABM कंपनी को अब तक कोई विभागीय रिन्यूवल प्राप्त नहीं हुआ है, इसके बावजूद नियुक्ति की प्रक्रिया अपनाई गई, जो नियमों के विरुद्ध है।
डीएमसी मनोज पांडे और ममता सोनी ने ओमप्रकाश पटेल (पत्रकार) के विरुद्ध सिविल थाने में की शिकायत–
इस मामले की खबर प्रकाशित होने से इस मामले का खबर प्रकाशित होने से डीएमसी मनोज पांडे और ममता सोनी आग बबूला हो गए और प्रतिशोध लेने के लिए रामपुर चौकी सिविल लाइन थाना जा पहुंचे और पत्रकार के विरुद्ध शिकायत की गई है। शिकायत होने के दौरान की खबर के प्रमुख संपादक ओमप्रकाश पटेल जी को एक आरक्षक के द्वारा फोन कर बयान बाजी के लिए ठाणे बुलाई गई। इस बीच ओमप्रकाश पटेल जी के साथ लगभग 15-20 पत्रकार थाने में मौजूद थे।
टीआई प्रमोद डडसेना और ओमप्रकाश पटेल के बीच हुआ विवाद–
डीएमसी मनोज पांडे और ममता सोनी के मामले उजागर होने के बावजूद इस मामले पर जांच एवं छानबीन करने के बजाय रामपुर चौकी सिविल लाइन के थाना प्रभारी टीआई प्रमोद डडसेना ने पत्रकार ओमप्रकाश पटेल को अपने ही थाने में बिना तथ्य और निराधार के दुर्व्यवहार करते हुए खरी खोटी बात सुनाई। पत्रकार ओमप्रकाश पटेल का कहना था कि बिना नोटिस जारी किए आप ठाणे नहीं बुला सकते। यह बात सुनते ही टी प्रमोद आज बला हो गए और पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार करते हुए तू तड़क से बात की यह बात किसी एक पत्रकार की नहीं वहां लगभग 15-20 पत्रकार मौजूद थे सभी के सम्मान को ठेस पहुंचा। टी आई प्रमोद डडसेना जो खुद आपराधिक गतिविधि में संलिप्त हो, और उन्हें जिला कोरबा पुलिस प्रशासन की संरक्षण मिली हो अन्यथा उनके ऊपर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होने से प्रशासन खुद सवाल के कटघरे पर खड़ी है।
क्या किसी थाने का टीआई किसी पत्रकार का डिग्री दिखाने का मांग कर सकता है??
आमतौर पर, थाने का टीआई (थाना इंचार्ज) पत्रकार से डिग्री मांगने का अधिकार नहीं रखता है, जब तक कि कोई विशेष परिस्थिति न हो जिसमें पत्रकार की पहचान या उनके काम की प्रामाणिकता की जांच करना आवश्यक हो।
पत्रकारों के पास आमतौर पर प्रेस कार्ड या पहचान पत्र होता है जो उनकी पहचान और उनके काम की प्रामाणिकता को दर्शाता है। टीआई को पत्रकार की डिग्री मांगने के बजाय, प्रेस कार्ड या पहचान पत्र की जांच करना अधिक उचित होगा।
यदि टीआई पत्रकार से डिग्री मांगता है, तो पत्रकार को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक होना चाहिए और आवश्यक होने पर उच्च अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।
थाने में आखिर हुआ क्या ?
थाना पहुंचे ओम प्रकाश पटेल ने जब बिना समन और जांच के बुलाए जाने पर आपत्ति जताई, तो थाना प्रभारी प्रमोद डडसेना ने बेहद अभद्र भाषा का प्रयोग किया। सूत्रों के अनुसार डडसेना ने उंगली दिखाते हुए कहा –
“क्या तुम्हारे पास पत्रकारिता की डिग्री है? ये थाना मेरा है, मेरे हिसाब से चलेगा, तुम्हें बयान देना पड़ेगा।”यह रवैया न केवल पुलिस के दायित्वों की मर्यादा के विरुद्ध है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत मिलने वाली प्रेस की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन है।
पत्रकारों से डिग्री की मांग असंवैधानिक :-
भारत में पत्रकार बनने के लिए किसी प्रकार की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की कानूनी अनिवार्यता नहीं है। जब मामला जनहित में रिपोर्टिंग से जुड़ा हो, और मीडिया संस्था की पहचान स्पष्ट हो, तब पत्रकार से डिग्री की मांग न केवल अनुचित बल्कि भयादोहन की श्रेणी में आती है।प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के अनुसार, पत्रकारों को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाना चाहिए। पुलिस द्वारा किया गया यह कार्यवाही न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।