
कोरबा, छत्तीसगढ़:- शिक्षकों की लापरवाही के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें पढ़ाई का नुकसान, बच्चों की सुरक्षा में चूक और शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट शामिल है। कुछ हालिया उदाहरणों में, शिक्षकों के समय पर स्कूल न पहुंचने, कक्षाओं में देर से आने या अनुपस्थित रहने की शिकायतें मिली हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
एक ऐसा ही घटना सामनेआई है,पौड़ी उपरोड़ा ब्लाक अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मल्दा में स्थित प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय की है जहाँ प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक महमूद सर,अपने घर में किराना दुकान खोल के रखें हैं और आए दिन स्कूल में हाजरी डाल कर घर की दुकान एवं दुकान के लिए राशन समान के लिए स्कूल परिसर से बाहर ही रहते हैं I और आज दोपहर तकरीबन 12:30 से लगभग 2:59 तक घर में संचालित किराना दुकान के लिए सामाग्री लेने कटघोरा गए हुए थेI और ऐसे में अपनी मनमानी से बच्चों की भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं I जबकि उसी स्कूल में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र मांझी,महतो, एवं अन्य नाना प्रकार के छात्रः एवं छात्रा पढ़ाई करते हैं और उन्हें शासन प्रशासन की डर भी नहीं है I जबकि ग्रामीण उन्हें कई बार उनकी गलतियों को लेकर बैठक कर उन्हें समझाइश दिया गया था! फिर भी समझाने के बावजूद भी महमूद सर के रवैय्या में कोई बदलाव नजर नहीं आया!
स्कूल के संकुल प्रभारी से जानकारी लेने पर
स्कूल के संकुल प्रभारी सी.एस.सी. श्री नागेश चंद्राकर से दूरभाष नंबर 8319104383 के माध्यम से जानकारी लिया गया कि क्या आपको महमूद सर स्कूल परिसर से अपने निजी कार्य के लिए जाने के बारे में आपको कोई जानकारी दिया गया है I तब श्री चंद्राकर का कहना था कि यदि किसी शिक्षक को ऑफिस के किसी कार्य एवं निजी कार्य के लिए भी कहीं जाना होता है तब अपने उच्च अधिकारी को सूचित करके जाना होता है और महमूद सर के द्वारा मुझे किसी भी प्रकार की कोई सूचना नहीं दिया गया हैI मगर महमूद सर ने ऐसा करना उचित नहीं समझा ! इन घटनाओं से न केवल छात्रों का नुकसान हो रहा है, बल्कि शिक्षकों की प्रतिष्ठा और छात्रों के माता-पिता का विश्वास भी कम हो रहा है।
शिक्षकों की लापरवाही के कुछ सामान्य कारण
कुछ शिक्षक दूरदराज के इलाकों से आते हैं, जिसके कारण वे स्कूल पहुंचने में देरी करते हैं या जल्दी चले जाते हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है। CIB INDIA NEWS के अनुसार
शिक्षण कौशल की कमी:
कुछ शिक्षकों में प्रभावी ढंग से पढ़ाने की क्षमता की कमी हो सकती है, जिसके कारण छात्र एवं छात्रा सीखने,पढ़ने में पिछड़ जाते हैं।
जिम्मेदारी की कमी:
कुछ शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं लेते हैं, जिससे छात्रों को आवश्यक मार्गदर्शन और समर्थन नहीं मिल पाता है।
प्रशासनिक लापरवाही:
कभी-कभी, स्कूल प्रशासन भी शिक्षकों की लापरवाही को रोकने में विफल रहता है, जिससे यह समस्या बनी रहती है।
शिक्षकों की लापरवाही को रोकने के लिए, निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं!
नियमित निरीक्षण:
स्कूल प्रशासन को नियमित रूप से कक्षाओं का निरीक्षण करना चाहिए ताकि शिक्षकों की उपस्थिति और शिक्षण की गुणवत्ता की निगरानी की जा सके।
प्रशिक्षण:
शिक्षकों को नियमित रूप से प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि वे अपने शिक्षण कौशल में सुधार कर सकें और छात्रों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
जवाबदेही:
शिक्षकों को अपनी लापरवाही के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, और यदि आवश्यक हो तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
अभिभावकों की भागीदारी:
अभिभावकों को स्कूल की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए और शिक्षकों की लापरवाही के बारे में अधिकारियों को सूचित करना चाहिए।
यह आवश्यक है कि शिक्षक अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को समझें और छात्रों को एक सुरक्षित और सकारात्मक शिक्षण वातावरण प्रदान करें।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पौड़ी उपरोड़ा ब्लाक के शिक्षा विभाग में अजब खेल के ग़ज़ब तमाशे जब भी किसी ग्रामीणों की कोई शिकायत या समाचारों के माध्यम से शिक्षकों की लापरवाही एवं गलतियों को सामने लाने का प्रयास किया जाता है तब-तब ब्लाक के अधिकारी उस मामले में मोटी रकम कमाने के फिराक में रहते हैं I जबकि यह अशोभनीय है अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में क्या कार्यवाही करते हैं I