
सिंगरौली (मध्यप्रदेश) / कोरबा (छत्तीसगढ़)
देशभर की बेटियों को शिक्षा और सशक्तिकरण का सपना दिखाने वाला भारत, एक बार फिर शर्मसार हुआ है। एक होनहार इंजीनियरिंग छात्रा पुष्पांजलि महंत की संदिग्ध हालात में मौत की खबर सामने आने के बाद न केवल एक परिवार टूट गया, बल्कि व्यवस्था की संवेदनहीनता और पुलिस-प्रशासन की लापरवाही भी बेनकाब हो गई।
पढ़ाई छोड़ मां और अपने बहन से मिलने आई थी पुष्पांजलि
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के रलिया गांव की निवासी पुष्पांजलि महंत, भोपाल (मध्यप्रदेश) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी। हाल ही में वह छुट्टियों में अपनी मां और अपनी बहन से मिलने मोरवा थाना क्षेत्र पहुंची थी। जहाँ उसकी मां स्वर्गीय पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति पर शासकीय सेवा में कार्यरत हैं। वे अपने पैतृक निवास रलिया आने वाले थे लेकिन ये घटना हो गई!
परिजनों ने उठाए गंभीर सवाल – बलात्कार कर हत्या की आशंका!
पुष्पांजलि की मां और परिजनों ने आरोप लगाया है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि बलात्कार के बाद की गई सुनियोजित हत्या है।
“हमारी बेटी किसी भी हाल में आत्महत्या नहीं कर सकती। उसके साथ दरिंदगी की गई है। पुलिस इस मामले को छुपा रही है।”, – रोते हुए पिता की जगह नौकरी कर रही मां।
तीन दिन तक अस्पताल मे पड़ा रहा शव, मानवता तार-तार
घटना के बाद पुष्पांजलि का शव मोरवा सरकारी अस्पताल लाया गया, लेकिन वहां की अमानवीय व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही ने हर सीमा पार कर दी। शव को तीन दिन तक अस्पताल में रखा गया, न ही समय पर पोस्टमार्टम हुआ, न ही शव को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई।शव सड़ने लगा, लेकिन न पुलिस को फर्क पड़ा, न अस्पताल प्रशासन को। जब परिजनों ने हंगामा किया, तब कहीं जाकर रीवा मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहाँ तीन दिन बाद पोस्टमार्टम हो सका।
स्थानीय पुलिस पर गंभीर आरोप – न FIR, न जांच, न सुनवाई
परिजनों ने आरोप लगाया कि कोरवा थाना पुलिस ने घटना को गंभीरता से नहीं लिया।
हत्या का मामला दर्ज कराया है7, लेकिन दुष्कर्म का मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया!
ना ही घटनास्थल का ठीक से मुआयना किया गया
पुलिस का पूरा रवैया “मामला रफा-दफा” करने जैसा था
परिजनों ने कहा कि पुलिस मामले को “आत्महत्या” बताकर बंद करना चाह रही थी।
छत्तीसगढ़ सरकार से अपील – “यह हमारी बेटी थी, हम न्याय चाहते हैं”
परिजनों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, महिला आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, और मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई है कि:
इस मामले को मध्यप्रदेश सरकार से उठाया जाए!
CBI या विशेष SIT से जांच कराई जाए!
स्थानीय पुलिस और अस्पताल प्रशासन पर कार्रवाई हो!
यह केवल पुष्पांजलि की कहानी नहीं, भारत की हर बेटी की कहानी है!
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि हमारे देश में बेटियों की सुरक्षा और सम्मान केवल भाषणों और विज्ञापनों तक सीमित है।
जब एक शिक्षित, स्वप्न देखने वाली बेटी की लाश बिना पोस्टमार्टम के तीन दिन अस्पताल मे पड़ी रहती है, तो ये केवल मौत नहीं होती, पूरे सिस्टम की हत्या होती है।
सवाल उठते हैं, जवाब कौन देगा?
किसकी ज़िम्मेदारी थी शव का सम्मानजनक ढंग से निस्तारण करना?
अगर यह बलात्कार और हत्या थी, तो अब तक दोषी क्यों नहीं पकड़े गए?
अनुकंपा पर नौकरी कर रही मां को कौन इंसाफ दिलाएगा?
अस्पताल और पुलिस की जवाबदेही कौन तय करेगा?
देश की बेटियों की सुरक्षा पर बात करने वाले नेताओं, मंत्रियों और अफसरों से एक ही सवाल – कब तक हमारी बेटियाँ यूँ ही मरती रहेंगी और तंत्र तमाशा देखता रहेगा?
यह मामला अब सिर्फ कोरबा या सिंगरौली का नहीं रहा, यह पूरे देश की बेटियों की सुरक्षा और न्याय का सवाल है। जब तक दोषियों को सजा और परिवार को न्याय नहीं मिलता, तब तक यह आवाज नहीं थमेगी।